अक्ल बांटने लगे विधाता, लंबी लगी कतारें, सभी आदमी खड़े हुए थे कहीं नहीं थी नारें। सभी नारियाँ कहाँ रह गई, था ये अचरज भारी, पता चला ब्यूटी पार्लर में, पहुँच गई थी सारी। मेकअप की थी गहन प्रक्रिया, एक एक पर भारी, बैठी थीं कुछ इंतजार में, कब आएगी बारी। उधर विधाता ने पुरूषों में,अक्ल बाँट दी सारी, ब्यूटी पार्लर से फुर्सत पाकर, जब पहुँची सब नारी। बोर्ड लगा था स्टॉक ख़त्म है, नहीं अक्ल अब बाकी रोने लगी सभी महिलाएं,नींद खुली ब्रह्मा की। पूछा कैसा शोर हो रहा है, ब्रह्मलोक के द्वारे, पता चला कि स्टॉक अक्ल का पुरुष ले गए सारे। ब्रह्मा जी ने कहा देवियों, बहुत देर कर दी है, जितनी भी थी अक्ल, वो मैंने पुरुषों में भर दी है। लगी चीखने महिलायेंसब, कैसा न्याय तुम्हारा, कुछ भी करो हमें तो चाहिए,आधा भाग हमारा। पुरुषो में शारीरिक बल है, हम ठहरी अबलाएं, अक्ल हमारे लिए जरुरी,निज रक्षा कर पाएं। सोच सोच कर दाढ़ी सहलाकर,तब बोले ब्रह्मा जी, एक वरदान तुम्हे देता हूँ,अब हो जाओ राजी। थोड़ी सी भी हँसी तुम्हारी, रहे पुरुष पर भारी, कितना भी वह अक्लमंद हो,अक्ल जायेगी मारी। एक औरत ने तर्क...
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